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पाठक योजनाएँ – जुलाई 2019
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जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्द की बात समझिए

2
मेरे भाइयो और बहिनो! जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्द की बात समझिए।
3
आप जानते हैं कि आपके विश्वास का इस प्रकार का परीक्षण धैर्य उत्पन्न करता है।
4
धैर्य को कार्यान्वयन की पूर्णता तक पहुँचने दीजिए, जिससे आप लोग स्वयं पूर्ण तथा सिद्ध बन जायें और आप में किसी बात की कमी नहीं रहे।
5
यदि आप लोगों में से किसी में बुद्धि का अभाव हो, तो वह परमेश्वर से प्रार्थना करे और उसे बुद्धि मिलेगी; क्योंकि परमेश्वर खुले हाथ और खुशी से सब को देता है।
6
किन्तु उसे विश्वास के साथ और सन्देह किये बिना प्रार्थना करनी चाहिए; क्योंकि जो सन्देह करता है, वह समुद्र की लहरों के सदृश है, जो हवा से इधर-उधर उछाली जाती हैं।
7
ऐसा व्यक्ति यह न समझे कि उसे प्रभु की ओर से कुछ मिलेगा
8
क्योंकि ऐसा मनुष्य दुचिता है और उसका सारा आचरण अस्थिर है।
9
जो भाई अथवा बहिन दरिद्र है, वह परमेश्वर द्वारा प्रदत्त अपनी श्रेष्ठता पर गौरव करे।
10
जो धनी है, वह अपनी हीनता पर गौरव करे; क्योंकि वह घास के फूल की तरह नष्ट हो जायेगा।
11
जब सूर्य उगता है और लू चलने लगती है, तो घास मुरझाती है, फूल झड़ता है और उसकी कान्ति नष्ट हो जाती है। इसी तरह धनी और उसका पूरा व्यापार समाप्त हो जायेगा।
12
धन्य है वह, जो विपत्ति में दृढ़ बना रहता है! परीक्षा में खरा उतरने पर उसे जीवन का वह मुकुट प्राप्त होगा, जिसे प्रभु ने अपने भक्तों को देने की प्रतिज्ञा की है।
पाठक योजनाएँ – जून 2019
अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो

1
दुर्जनों के कारण स्वयं को परेशान न करो; कुकर्मियों कि प्रति ईष्र्यालु न हो।
2
वे घास के सदृश अविलम्ब काटे जायेंगे। वे हरी शाक के समान मुरझा जाएंगे।
3
प्रभु पर भरोसा रखो और भले कार्य करो; पृथ्वी पर निवास करो और सत्य का पालन करो।
4
तब तुम प्रभु में आनन्दित होगे; और वह तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करेगा।
5
अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो; उस पर भरोसा करो तो वही कार्य करेगा।
6
वह तुम्हारी धार्मिकता को ज्योति के सदृश, और तुम्हारी सच्चाई को दोपहर की किरणों जैसे प्रकट करेगा।
7
प्रभु के समक्ष शान्त रहो, और उत्सुकता से उसकी प्रतीक्षा करो; उस व्यक्ति के कारण स्वयं को परेशान न करो, जो अपने कुमार्ग पर फलता-फूलता है, जो बुरी युिक्तयां रचता है।
8
क्रोध से दूर रहो, और रोष को त्याग दो। स्वयं को क्षुब्ध न करो; क्षोभ केवल बुराई की ओर ले जाता है।
9
दुर्जन नष्ट किए जाएंगे; परन्तु जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
10
कुछ समय पश्चात् दुष्ट नहीं रहेगा। तुम उस स्थान को ध्यान से देखोगे; पर वहाँ वह नहीं होगा।
11
दीन-गरीब लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, वे अपार समृद्धि में आनन्द करेंगे।