7
“माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।
8
क्योंकि जो माँगता है, उसे मिलता है; जो ढूँढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिए द्वार खोला जाता है।
9
“यदि तुम्हारा पुत्र तुम से रोटी माँगे, तो तुम में ऐसा कौन पिता है जो उसे पत्थर देगा
10
अथवा मछली माँगे, तो उसे साँप देगा?
11
बुरे होने पर भी यदि तुम अपने बच्चों को सहज ही अच्छी वस्तुएँ देते हो, तो तुम्हारा स्वर्गिक पिता अपने माँगने वालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों नहीं देगा?
12
“हर समय दूसरों से अपने प्रति जैसा व्यवहार चाहते हो, तुम भी उनके प्रति वैसा ही व्यवहार किया करो; क्योंकि व्यवस्था-ग्रन्थ और नबियों की यही शिक्षा है।