1
दुर्जनों के कारण स्वयं को परेशान न करो; कुकर्मियों कि प्रति ईष्र्यालु न हो।
2
वे घास के सदृश अविलम्ब काटे जायेंगे। वे हरी शाक के समान मुरझा जाएंगे।
3
प्रभु पर भरोसा रखो और भले कार्य करो; पृथ्वी पर निवास करो और सत्य का पालन करो।
4
तब तुम प्रभु में आनन्दित होगे; और वह तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करेगा।
5
अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो; उस पर भरोसा करो तो वही कार्य करेगा।
6
वह तुम्हारी धार्मिकता को ज्योति के सदृश, और तुम्हारी सच्चाई को दोपहर की किरणों जैसे प्रकट करेगा।
7
प्रभु के समक्ष शान्त रहो, और उत्सुकता से उसकी प्रतीक्षा करो; उस व्यक्ति के कारण स्वयं को परेशान न करो, जो अपने कुमार्ग पर फलता-फूलता है, जो बुरी युिक्तयां रचता है।
8
क्रोध से दूर रहो, और रोष को त्याग दो। स्वयं को क्षुब्ध न करो; क्षोभ केवल बुराई की ओर ले जाता है।
9
दुर्जन नष्ट किए जाएंगे; परन्तु जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
10
कुछ समय पश्चात् दुष्ट नहीं रहेगा। तुम उस स्थान को ध्यान से देखोगे; पर वहाँ वह नहीं होगा।
11
दीन-गरीब लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, वे अपार समृद्धि में आनन्द करेंगे।