1
ओ सर्वोच्च प्रभु के आश्रय में रहने वाले, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की छाया में निवास करने वाले
2
प्रभु से यह कह, “तू मेरा शरण-स्थल और गढ़ है, तू मेरा परमेश्वर है, तुझ पर मैं भरोसा करता हूँ।”
3
वह तुझे बहेलिए के फंदे से, घातक महामारी से छुड़ाएगा
4
वह तुझे अपने पंखों से घेर लेगा, तू उसके चरणों में शरण पाएगा; उसकी सच्चाई ही ढाल और झिलम हैं।
5
तू रात के आतंक से, और दिन में चलने वाले तीर से
6
अन्धकार में फैलने वाली महामारी से, और दोपहर में विनाश करनेवाले भयंकर रोग से भयभीत न होगा।
7
तेरे निकट हजार लोग, तेरी दाहिनी ओर लाख लोग गिरते हों, पर महामारी तेरे पास नहीं आएगी।
8
तू केवल अपने नेत्रों से दृष्टि करेगा, तू दुर्जनों के प्रतिफल को देखेगा।
9
तूने प्रभु को अपना शरण-स्थल माना है। सर्वोच्च प्रभु तेरा धाम है।
10
इसलिए बुराई तेरे पास पहुंच नहीं सकेगी, महा विपत्ति तेरे शिविर के निकट आने न पाएगी।
11
तेरे समस्त मार्गों में तेरी रक्षा हेतु, प्रभु अपने दूतों को आज्ञा देगा।
12
वे तुझे अपने हाथों पर उठा लेंगे, जिससे तेरे चरणों को पत्थर से ठेस न लगे।
13
तू सिंह और सांप को कुचलेगा, तू युवा सिंह और अजगर को पैर-तले रौंदेगा।
14
प्रभु कहता है, ‘वह मुझ से प्रेम करता है, अत: मैं उसको छुड़ाऊंगा; वह मेरे नाम को जानता है, इसलिए मैं उसकी रक्षा करूंगा।
15
जब वह मुझे पुकारेगा, मैं उसे उत्तर दूंगा; संकट में मैं उसके साथ रहूंगा; मैं उसे मुक्त करूंगा और उसे महिमान्वित करूंगा।
16
मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूंगा, और उसे अपने उद्धार का दर्शन कराऊंगा।’