हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं और उसके उद्देश्‍य के अनुसार बुलाये गये हैं, परमेश्‍वर उनके कल्‍याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है

हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं और उसके उद्देश्‍य के अनुसार बुलाये गये हैं, परमेश्‍वर उनके कल्‍याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है

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हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं और उसके उद्देश्‍य के अनुसार बुलाये गये हैं, परमेश्‍वर उनके कल्‍याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है

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क्‍योंकि परमेश्‍वर ने निश्‍चित किया कि जिन्‍हें उसने पहले से अपना समझा, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायेंगे, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाई-बहिनों में पहिलौठा हो।

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उसने जिन्‍हें पहले से निश्‍चित किया, उन्‍हें बुलाया भी है : जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धार्मिक भी ठहराया है और जिन्‍हें धार्मिक ठहराया है, उन्‍हें महिमान्‍वित भी किया है।

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और कहना ही क्‍या है? यदि परमेश्‍वर हमारे पक्ष में है, तो कौन हमारे विरुद्ध होगा?

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उसने अपने निजी पुत्र को भी नहीं बचाया, उसने हम सब के लिए उसे समर्पित कर दिया। तो, इतना देने के बाद, क्‍या वह हमें अपने पुत्र के साथ सब कुछ नहीं देगा?

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जिन्‍हें परमेश्‍वर ने चुना है, उन पर कौन अभियोग लगा सकेगा? जिन्‍हें परमेश्‍वर ने दोष-मुक्‍त कर दिया है

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उन्‍हें कौन दोषी ठहरायेगा? क्‍या येशु मसीह ऐसा करेंगे? वह तो मर गये, बल्‍कि जी उठे और परमेश्‍वर के दाहिने हाथ विराजमान हो कर हमारे लिए निवेदन करते रहते हैं।

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कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग कर सकता है? क्‍या विपत्ति या संकट? क्‍या अत्‍याचार, भूख, नग्‍नता, जोखिम या तलवार?

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जैसा कि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है, “तेरे कारण दिन-भर हमारा वध किया जाता है। हमें वध होने वाली भेड़ जैसा समझा गया।”

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किन्‍तु इन सब बातों में हम उन्‍हीं के द्वारा पूर्ण विजय प्राप्‍त करते हैं, जिन्‍होंने हमसे प्रेम किया है।

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मुझे दृढ़ विश्‍वास है कि न तो मृत्‍यु न जीवन, न स्‍वर्गदूत न नरकदूत, न वर्तमान न भविष्‍य, न सामर्थ्यगण

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न आकाश में या पाताल में कोई शक्‍ति और न समस्‍त सृष्‍टि में कोई वस्‍तु हमें परमेश्‍वर के उस प्रेम से अलग कर सकती है, जो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा मिला है।

Romans 8 in Hindi

Romans 8 in English

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