जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्‍द की बात समझिए

जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्‍द की बात समझिए

2  
मेरे भाइयो और बहिनो! जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बड़े आनन्‍द की बात समझिए।

3  
आप जानते हैं कि आपके विश्‍वास का इस प्रकार का परीक्षण धैर्य उत्‍पन्न करता है।

4  
धैर्य को कार्यान्‍वयन की पूर्णता तक पहुँचने दीजिए, जिससे आप लोग स्‍वयं पूर्ण तथा सिद्ध बन जायें और आप में किसी बात की कमी नहीं रहे।

5  
यदि आप लोगों में से किसी में बुद्धि का अभाव हो, तो वह परमेश्‍वर से प्रार्थना करे और उसे बुद्धि मिलेगी; क्‍योंकि परमेश्‍वर खुले हाथ और खुशी से सब को देता है।

6  
किन्‍तु उसे विश्‍वास के साथ और सन्‍देह किये बिना प्रार्थना करनी चाहिए; क्‍योंकि जो सन्‍देह करता है, वह समुद्र की लहरों के सदृश है, जो हवा से इधर-उधर उछाली जाती हैं।

7  
ऐसा व्यक्‍ति यह न समझे कि उसे प्रभु की ओर से कुछ मिलेगा

8  
क्‍योंकि ऐसा मनुष्‍य दुचिता है और उसका सारा आचरण अस्‍थिर है।

9  
जो भाई अथवा बहिन दरिद्र है, वह परमेश्‍वर द्वारा प्रदत्त अपनी श्रेष्‍ठता पर गौरव करे।

10  
जो धनी है, वह अपनी हीनता पर गौरव करे; क्‍योंकि वह घास के फूल की तरह नष्‍ट हो जायेगा।

11  
जब सूर्य उगता है और लू चलने लगती है, तो घास मुरझाती है, फूल झड़ता है और उसकी कान्‍ति नष्‍ट हो जाती है। इसी तरह धनी और उसका पूरा व्‍यापार समाप्‍त हो जायेगा।

12  
धन्‍य है वह, जो विपत्ति में दृढ़ बना रहता है! परीक्षा में खरा उतरने पर उसे जीवन का वह मुकुट प्राप्‍त होगा, जिसे प्रभु ने अपने भक्‍तों को देने की प्रतिज्ञा की है।

James 1 in Hindi

James 1 in English

पाठक योजनाएँ – जून 2019

6 दिवस

क्या आप एक दिन में 24 से अधिक घंटे न होने को लेकर हताश हैं? क्या आप शेष कामों की सूची की लंबाई के कारण अभिप्लुत हैं? क्या आप थकान के कारण परमेश्वर के वचन में और अपने परिवार व दोस्तों के साथ बिताने के लिए समय के अभाव से थके हुए हैं? शायद ये संसार के सबसे सामान्य संघर्ष होंगे। खुशखबरी यह है कि अपना समय उपयुक्त रीति से उपयोग करने के लिए बाइबल हमें स्पष्ट सिद्धांत प्रदान करती है। यह प्लान पवित्र-शास्त्र के उन भागों की व्याख्या प्रस्तुत करेगा व जितना समय इस जीवन में आपके पास शेष है, उसका सदुपयोग करने के लिए अत्यंत प्रायोगिक सलाहें प्रदान करेगा!

अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो

अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो

1  
दुर्जनों के कारण स्‍वयं को परेशान न करो; कुकर्मियों कि प्रति ईष्‍र्यालु न हो।

2  
वे घास के सदृश अविलम्‍ब काटे जायेंगे। वे हरी शाक के समान मुरझा जाएंगे।

3  
प्रभु पर भरोसा रखो और भले कार्य करो; पृथ्‍वी पर निवास करो और सत्‍य का पालन करो।

4  
तब तुम प्रभु में आनन्‍दित होगे; और वह तुम्‍हारी मनोकामना पूर्ण करेगा।

5  
अपना जीवन-मार्ग प्रभु को सौंप दो; उस पर भरोसा करो तो वही कार्य करेगा।

6  
वह तुम्‍हारी धार्मिकता को ज्‍योति के सदृश, और तुम्‍हारी सच्‍चाई को दोपहर की किरणों जैसे प्रकट करेगा।

7  
प्रभु के समक्ष शान्‍त रहो, और उत्‍सुकता से उसकी प्रतीक्षा करो; उस व्यक्‍ति के कारण स्‍वयं को परेशान न करो, जो अपने कुमार्ग पर फलता-फूलता है, जो बुरी युिक्‍तयां रचता है।

8  
क्रोध से दूर रहो, और रोष को त्‍याग दो। स्‍वयं को क्षुब्‍ध न करो; क्षोभ केवल बुराई की ओर ले जाता है।

9  
दुर्जन नष्‍ट किए जाएंगे; परन्‍तु जो प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे पृथ्‍वी के अधिकारी होंगे।

10  
कुछ समय पश्‍चात् दुष्‍ट नहीं रहेगा। तुम उस स्‍थान को ध्‍यान से देखोगे; पर वहाँ वह नहीं होगा।

11  
दीन-गरीब लोग पृथ्‍वी के अधिकारी होंगे, वे अपार समृद्धि में आनन्‍द करेंगे।

Psalm 37 in Hindi

Psalm 37 in English

एक अच्‍छी पत्‍नी कौन पा सकता है?

एक अच्‍छी पत्‍नी कौन पा सकता है?

10  
एक अच्‍छी पत्‍नी कौन पा सकता है? वह हीरे-मोती से अधिक मूल्‍यवान होती है।

11  
उसके पति का हृदय उस पर पूरा भरोसा करता है, और जीवन सुखमय रहता है।

12  
वह अपने जीवन भर उसका अनिष्‍ट नहीं, वरन् भलाई करती है।

13  
वह ऊन और पटसन खोज कर लाती है, और प्रसन्नतापूर्वक अपने हाथों से काम करती है।

14  
व्‍यापार के जहाजों की तरह वह दूर-दूर से भोजन-वस्‍तुएं लाती है।

15  
वह पौ फटने के पहले ही रात में उठ जाती है, और अपने परिवार के लिए भोजन का प्रबन्‍ध करती है; वह अपनी सेविकाओं को उनका काम बांट देती है।

16  
वह देख-भाल कर खेत खरीदती है; वह अपनी मेहनत से अंगूर-उद्यान लगाती है।

17  
वह कमर कस कर परिश्रम के लिए तैयार रहती है; वह काम करने के लिए अपने हाथों को मजबूत रखती है।

18  
वह जानती है कि घरेलू उद्योग में उसका लाभ है, रात को उसका दीपक नहीं बुझता।

19  
उसके हाथ चरखे पर लगे रहते हैं, और वह उंगलियों से तकली चलाती है।

20  
गरीबों के लिए उसकी मुट्ठी खुली रहती है, वह दीन-दरिद्रों को संभालती है।

21  
वह हिमपात के समय अपने परिवार के लिए चिन्‍तित नहीं होती; क्‍योंकि उसके परिवार के लोग ऊनी वस्‍त्र पहनते हैं।

22  
वह स्‍वयं चादरें बुनती है; उसके वस्‍त्र सूक्ष्म पटसन के, और बैंजनी रंग के होते हैं।

23  
उसका पति नगर के प्रवेश-द्वार पर नगर के धर्मवृद्धों के साथ पंचायत में बैठता है, सब उसका सम्‍मान करते हैं।

24  
वह पटसन के वस्‍त्र बनाती और उनको बेचती है; वह व्‍यापारियों को कमरबन्‍द बेचती है।

25  
शक्‍ति और मर्यादा उसके वस्‍त्र हैं; वह आनेवाले कल को हंसकर उड़ा देती है।

26  
उसके मुंह से बुद्धि की बातें निकलती हैं, उसके ओंठों पर सदा दया की सीख ही रहती है।

27  
वह गृहस्‍थी का सब काम अच्‍छी तरह संभालती है; वह आलस की रोटी नहीं खाती।

28  
उसके बेटे और बेटियां सोकर उठते ही उसके पैर छूते हैं; जब उसका पति सो कर उठता है, वह भी उस की प्रशंसा करता है।

29  
वह कहता है : “अनेक स्‍त्रियों ने गृहस्‍थी के लिए अच्‍छे-अच्‍छे काम किए हैं; किन्‍तु तू उन सब से बढ़कर है।”

30  
आकर्षण में धोखा हो सकता है, और शरीर की सुन्‍दरता भी निस्‍सार है; किन्‍तु जो स्‍त्री प्रभु का भय मानती है वह प्रशंसा के योग्‍य है।

31  
ऐसी स्‍त्री का उसके परिश्रम के अनुरूप सम्‍मान करो; सभा-पंचायत में उसके कार्यों की प्रशंसा होनी चाहिए।

Proverbs 31 in Hindi

Proverbs 31 in English

पाठक योजनाएँ – मई 2019